धूप हो या धूल
मस्त है जीवन
साथीयों से मीले जब
अनन्द मनाते हम
कौन बडा, छोटा है कौन
दिल से रिस्ता निभाते हम
खेलखेल में मिताते सबकुछ
उँचनिंचका वो सिमाएं भी हम
जुडने के ठिकाने हमारा
सायद सबको लुभाते हम ।
१२।८।२०१७
दील की हर धडकन, पानी के बूंद जैसे, जीवन काे सिंचती, वाे एहसास दीलाती कीतनी रंग में, कीस पल में, काेही न जानती, एेसे में एक कलम उठती ।
धूप हो या धूल मस्त है जीवन साथीयों से मीले जब अनन्द मनाते हम कौन बडा , छोटा है कौन दिल से रिस्ता निभाते हम खेलखेल में मित...